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Showing posts from March 30, 2015

गम

साभार गूगल यू ही मिटने के लिए और मिटाने के लिए हसरतें जां क्यू  रहेगी क्या तुझे पाने  के लिए मांगा क्या मिल गया उम्र निभाने के लिए यू ही एतरफ किये जा खुद को भुलाने के लिए अब भी मदहोश किय जा है आये तुझे पाने के लिए दिल में है यू ही वो जले गम -ए  यादों के लिए अब ये ग़फ़लत ही सही एक तुझे पाने के लिए कुछ ना कह सके हम उनको बताने के लिए माना मज़बूर मेरे  हालात  बहुत से  रहे होंगे "अना" आराधना            अना"  माने respectful use as pen name

हौसला

जो कहता है उसे कहने दे , वक़्त के दरिया में बहने दे , आज कहे तो हालत बदल दे मोजों को तो पल में बदल दे अँधेरा जब इतना बढ़ जायेगा सामने कुछ न नज़र आएगा सोच बन के जो  निखर जायेगा राहत-ए -वस्ल को वही पायेगा अपने वादों का जिसको कौल नहीं इमां भी उसका फिर ईमान नहीं इंसान ऐसा भी  अब क्या होगा जिसका रहबर  खुदा  नहीं होगा @आराधना कॉपी राइट  

मित्र के नाम पाती

चला काफिला ये अकेले -अकेले लो अंतिम विदाई  ये अंतिम समय कि परिणय का सूत्र ही प्रेम होता,नहीं सदा बात ,प्रणय कि ही होती नहीं है यहाँ कहते है के मित्र मिलते नहीं ह्रदय ने सुनी कहीं दूर से आवाज़      कैसी थी रात,उस अंधकार में  दुःख कि बातें बनी मित्र का साथ थी एक कि ,दूसरे कि वहीं मन कि बात थी जब दुख ने  दुख को आवाज़ दी आँसुओ को  भी पोंछा, और बात कि                साथ निरंतर तुम्ही ने बस दिया साथ दुख कि बात बनी सुख का आधार     ना था  कोई  बंधु कोई भी  बात साथी यहाँ ये कारवां अब  रुकेगा नहीं चलेगा सदा और  साथ रहेगा  सदा बात उसकी थी जिसने निभाई सदा   @  आराधना  कॉपी राइट मित्र के नाम पाती