शहर की बात --------------------------------- अब किस शहर की बात हो जहाँ सुबह सी कोई रात हो हर शख़्स ही जहाँ खास हो अवाम की जहाँ पे बात हो ना भूख रोटी को ढूँढती हो कफन ज़िंदगी ना ओढ़ी हो यूँ इक सरज़मी की बात हो उजालों पर यूँ ना सवाल हो जहॉ रोशन हर ज़हन यूँ हो हर बात पे ना कोई बवाल हो कोई ख़्वाब हसीन नसीब हो "अरु" मंज़िले कुछ करीब हो आराधना राय "अरु" ------------------------------------------------ कफन -श्राउड, मृत्यु का सामान सरज़मी- क्षेत्र, देश अवाम- जनता , पब्लिक शख़्स- आदमी ,,इंसान
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.