Skip to main content

Posts

Showing posts from April 2, 2016

दिल नज़्म

 सौ-सौ किए सवाल दिल -ए  नाशाद कि खातिर  ढूंढा किए जवाब ख्वाबों कि उम्मीद कि खातिर  धडकता है ना जाने कितने अहसास लिए दिल क्या - क्या ना सहा इस में छिपी याद कि खातिर सब कुछ करीने से सज़ा रखा है जाने किसके लिए इक दिन बदल जाएगा सब किस सय्याद कि खातिर शाद हुआ कभी नाशाद हुआ दिल दामन से लिपट कर दिन साल महीने गिनता रहा किस मीयाद कि खातिर खाली मकान नहीं रख लिया सामान फिर क्यूँ तिरा  बताता नहीं कुछ जी रहा है दिल ए बर्बाद कि खातिर रगों  से होकर ज़िस्म तक खून कि बात कहता है दिल आवाज़ दे रहा है परिंदों को ''अरु" फरियाद कि खातिर आराधना राय  ''अरु"