सखी गीता के नाम साभार गुगल उन से हटती नहीं अब मिरी नज़र चुभ रही है दिल में कांटे सी गज़र तिरे गावँ कि छांव को छोड़ कर चल पड़े हम अपना मुँह मोड़ कर अहले गमों को देख कर रो पड़े बिखर गए जज्बात इधर - उधर रंग बिखर गए हर तस्वुरात के तस्वीर बनाई नहीं तिरी दिल हार जिंदगी चलती रही खामोश इधर आ गए साथ मेरे बन कर रहबर उन के इकरार कि किसको खबर जिनका रोना भी आता नहीं नज़र उन से हटती नहीं अब मिरी नज़र चुभ रही है दिल में कांटे ...
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