सखी गीता के नाम साभार गुगल उन से हटती नहीं अब मिरी नज़र चुभ रही है दिल में कांटे सी गज़र तिरे गावँ कि छांव को छोड़ कर चल पड़े हम अपना मुँह मोड़ कर अहले गमों को देख कर रो पड़े बिखर गए जज्बात इधर - उधर रंग बिखर गए हर तस्वुरात के तस्वीर बनाई नहीं तिरी दिल हार जिंदगी चलती रही खामोश इधर आ गए साथ मेरे बन कर रहबर उन के इकरार कि किसको खबर जिनका रोना भी आता नहीं नज़र उन से हटती नहीं अब मिरी नज़र चुभ रही है दिल में कांटे सी गज़र डर नहीं जिनको उस खुदा का गर "अरु" परिस्तिश करें क्या उन बुतों को इधर- आराधना राय "अरु" غزل غیر مرددف غزل --- بغیر ردیف کی غزل ------------------------------------------------------ چبھ رہی ہے دل میں کانٹے سی گذر ترے گاو کہ چھاؤں کو چھوڑ کر چل پڑے ہم اپنا منہ موڑ کر اہل گمو کو دیکھ کر رو پڑے
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.