Skip to main content

Posts

Showing posts from July 15, 2015

ख़ाक

            ख़ाक ------------------------------------------------ ज़िंदगी ख़ाक है और अब कुछ भी नहीं जीते  मरने के सिवा और  कुछ भी नहीं तिज़ारत सा इश्क है और कुछ भी नहीं बेरुखी का आलम है और कुछ भी नहीं एक थकी ज़िंदगी है और कुछ भी नहीं "अरु" ज़ब्र करने के सिवा कुछ भी नहीं आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©