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Showing posts from June 15, 2015

कह जाते हो

आँखों से कौन सी बात कह जाते हो दिल में कहीं तुम समाते ही जाते हो तुम अपने नाम के दिये से जलाते हो होठो पे इक मुस्कान बन छा जाते हो मेरे आँसू भी तुम पी कर चले जाते हो "अरु" को संसार तुम देने चले आते हो आराधना राय 

कमी ना थी

कमी ना थी  ================================================== तेरे शहर में यू तो कुछ कमी ना थी  तेरे बगैर पर मेरे पैरों में ज़मीं ना थी  तुझे  ही ढूँढने राह  में ही निकली थी  तझे दिल कि हालत क्यू पता ना थी   इत्मिनान था हमें कुछ यू कमी ना थी  रौशनी दिल में थी ये ज़मीं ज़मी ना थी  मुराद माँगते क्या जब कहीं कमी ना थी ज़ख़्म दिल मे थे "अरु" शिकायत ना थी   आराधना राय 

रटन

 कौन सी रटन अब  लगाऊँ  मेरे श्याम तुम्हें ही पा जाऊँ  खोल अलकों को बस  अपने  तेरे नाम से उन्हें यू  सजाऊँ  प्रीत कि बंसी सदा सुन जाऊॅ   उर में सदा के लिए बस जाऊँ   "अरु " मीठी तान सुन जाऊॅ  आराधना राय  *alko---kaan

नहीं जानती

नहीं जानती ============================== किस रूप में जन्म लूँगी फिर यह  नहीं जानती हिंदू -मुस्लिम -ईसाई -सिख यह नहीं जानती मेरा -तेरा करने वाले कब थमेंगे नहीं जानती इंसान हूँ ईश्वर को हर रूप में ही हूँ बस मानती कब छीटा कशी छोड़ेगा इंसान ये नहीं जानती औरों के मान को कोई ना डसेगा नहीं जानती किसी धर्म के नाम पर दंगा फिर होगा हूँ जानती इस बार कोई एक इंसान मरेगा इतना हूँ जानती आराधना  राय 

सावरे

छोड़ी जग कि लोक लाज कान्हा कि अब हो लू आज मिलने कि  तू ना छोड़ आस अब तो ना बिसारो मेरे नाथ अरु को संभालो सावरे आज आराधना राय