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Showing posts from October 6, 2016

बंधन

साभार गुगल कविता कुछ प्रीत लिए कुछ रीत लिए बंधन जो तुमने बांधे है कैसे कह दूँ तेरे मेरे जीवन की साँझ हुई मौसम की हवाओं का क्या कहना ये तो बस आती जाती है मेरे जीवन की बगिया में सावन की बरसात बन कर आती है तूम हाँ कह दो तो सुबह हुई तेरे इक ना पे जान निकल सी जाती है आराधना राय अरु