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Showing posts from March 23, 2017

क्यों है-

उसकी हाथों की कलाई याद आती है रेशमी चूड़ियों की खनक बताती थी आज निगाह में फिर सवाल क्यों है कुछ न हो कर तेरे मेरे बीच बात क्यों है ऱोज कुछ कहने की अजब सी चाहत क्यों है जो नही है उसका भ्रम आज तक मुझे क्यों है इंतजार कल भी था इन नजरों तेरे आने का रोज़ रूठी हुई तकदीर के सहारे ये दिल क्यों है------अरु