आहुति उठ रही है ,मन में क्यू चिताएं । अतिथि बन घर आ गई क्यों आपदाए। प्रश्न है ,सब से कोई उत्तर सुझाए। किस जगह जा कर बसे , मृदु भावनाए। रुदन कर रही है , सब दिशाए । अवसाद में जन्मी सभी गाथाये । शोर्ये की, आहुति दे ,चुप है सभाए । मौन हो गई जहां पर , मानवताए । भस्मीभूत, है, क्षितिज की आशाएं । आराधना उर्फ़ तूलिका copyright rai aradhana rai ©
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.