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Showing posts from June 3, 2015

क्यू

            -------------------------------------------------        ज़ख़्म फिर से  दिल के हरे क्यू हो गए          वो जो कब तलक ही सूख जाने वाले थे          बरसों हम  उन के लिए क्यू जी लिए            अगर वो हम से रूठ के जाने वाले थे           मेरे क़ातिल को पता था मेरा भी मकां            उस से बच कर कब निकलने वाले थे            अजीब बात थी वो शख़्स भी सौदाई हुआ          कल तलक जिस बाज़ार में बिकने वाले थे  आराधना राय  ==================================

सौदा

                       ---------------------------------------------------- एक सौदा कर लिया है इश्क़ के बाज़ार में तेरे  नाम पर मरना जीना तेरे ही नाम पे तुम्हारी आदतों में मेरी आदतें भी शुमार है तेरी  आवाज़ में मेरी आवाज़  का ख़ुमार है ये मिरज़ -ए -इश्क़ है नाकामियों के नाम पे हम खुद आ कर रूक गए है एक तेरे नाम पे साथ तेरे यू चल पड़ा बस  क़ाफ़िला था नहीं हमसफ़र कोई कहाँ था "अरु" तन्हां ही सही आराधना राय