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Showing posts from April 23, 2015

ज़न्नत

साभार गुगल इमेज़ वफ़ा पे ज़फ़ा का इल्ज़ाम आया वो खुश रहे सदा ये पैगाम आया ये तकदीर उनकी खुदा ले आया ज़न्नत में कैसी शमा लेकर आया हसी तेरी मंज़िल हसी मेरी महफिल ज़माने को ये नहीं अब ये रास आया    ख्वाबों के नशे मन हमें ही साथ लाये मेरे दिल में उजालों कि बारात ले आये  कॉपीराइट @ आराधना राय

जीवन संग्राम

साभार गुगल इमेज़ जीवन संग्राम इस बार भी कहा  हो गया हर कोई ज़ुल्म का शिकार यहाँ हो गया ज़द्दोज़हद में झूठ का बोल बाला हो गया आदमी खून कर के खुद भगवान हो गया दुराचार , व्यभिचार का शिकार भी हो गया हर घड़ी , रक़्स , ज़ुल्म सितम यही हो गया अपनों के सुख दुसरो के दुख देख खुश हो गया  जहां में हर कोई एक दूसरे से परेशान  हो गया कॉपी राइट @आराधना राय

खुदी

साभार गुगल इमेज होश वालों से ही कहों जा के ले आओ उसे जो ज़ुल्म भी न करें और सितम सहते है हम हुए खाको नशी हम दीवाने ही सही ज़हर खुद पी के फ़ना आज अब यू ही रोते है बेखुदी आलम -ए गुलज़ारी यू रखिए हम रहे या ना रहे उसकी खुदी होती है आराधना राय 

हरसिंगार

साभार गुगल इमेज व्यक्ति ,सब सहज सरल संबंध पाता  है ईश्वर भी मानवीय संबधो में ही  होता है। इतना सहने वाले को देख मन ये रोता है भावों  में प्यार का सागर लहरा जाता है। जीवन  प्रणय बन कोई सीखता जाता है कृष्ण कि राधा बन कर कोई भी आता है। प्रिय तू मीत और गीत  बन कर आता है जीवन हरसिंगार सा महक कर आता  है आराधना राय