पास तेरे हूँ ------------------------------------------------------------ मेरी आँखों में हो तुम दिये की लौ की तरह तेरे आँगन में लौटी हूँ मैं भी तुलसी कि तरह मुझे माथे पे ना लगाना तुम चंदन कि तरह तेरे पास नहीं हूँ में किसी भी बंधन कि तरह मेरी आखों में सजोगे तुम अंजन कि तरह मेरे हाथों में सजोगे तुम भी कंगन कि तरह हीरा ना समझना जली हूँ कोयले कि तरह मेरे पारस तुम ही सम्हालों यू ही कंचन तरह लौ बन के जलूँगी तुम्हारी ही संगनी कि तरह वो चलती रही "अरु" मन से भी मीरा कि तरह आराधना राय copyright : Rai Aradhana ©
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.