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Showing posts from August 11, 2015

आसान है

कितना आसान है दामन छुड़ा लेना  दूसरों पे हँस  के हर पल बीता लेना किसी की चाहतों से खेलते ही रहना किसी की उम्मीदों पे पानी फेर देना खिलवाड़ कर दिलों  को बहला लेना  ज़ख़्म  पे घाव  सा कर हंसते  रहना  आसान है दिलों से यू  खेलते ही रहना ख़ुद को ख़ुदा सा "अरु" बोलते ही रहना आराधना राय  "अरु" Aradhana ©