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Showing posts from March 19, 2016

नज्म चेहरा

नज्म चेहरा तेरा चेहरा मुझे रकीब सा लगता है दूर होकर भी  करीब  सा लगता है दिल जल कर सुलग नहीं उठता है आज़माता हुआ गरीब सा लगता है दहर की आग में शहर  जलता है कैसा रिश्ता तुझ से मेरा लगता है सताए हुए है चोट दिल पर लगी है ना जाने कौन ये मुझ पे हँसता है आराधना राय "अरु"

अप्सरा को मात

अप्सरा को मात ------------------------------ अप्सराओं में सब से सुंदर अप्सरा ने सोचा आज पृथ्वी लोक जा के वहाँ कि सुंदर स्त्रियों से मिले । जल्दी जल्दी में  वो  इक उद्यान में आ  गई , किस्मत से वहां सब लडकियाँ और लड़के खड़े थे दिन भी विचित्र 14 फरवरी ।                                                 दृश्य- 1                                 (उर्वशी इक लड़के से पूछती है ) उर्वशी-- वत्स ये पुष्प क्यों ? लड़का- आंटी कौन से टी. वी प्रोग्राम के लिए मुझे बकरा बना रहीं है ? (ऊपर से नीचे उर्वशी को देख कर ) उर्वशी को अपनी गलती का भान होता है और तुरंत गेटउप बदलती है । एक सुंदर लड़की के रूप में फिर खड़ी हो जाती है  । तभी एक लड़का 18-20 साल का आता है हाथों में गुलाब लिए  ।   लड़का -  विल यु बी मय वेलेंटाइन ?                                         (उर्वशी से पूछता है) उर्वशी -( फूल लेते  हुए)  वो क्या होता है ? लड़का-  नई  आई  हो  दिल्ली  में   ? (फुसफुसाते  हुए ) लगता  है जा गाँव झुमरी  तलैया  से  आई  है  । लड़का-  आज तूम मेरी गर्ल फ्रेंड , धुमेगे - फिरेगे. मीठी - मीठी बाते करेगे , अगर तू