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Showing posts from April 15, 2016

ग़ज़ल

गम है, दिल है यां तन्हाई है जिंदगी अपनी नहीं पराई है ख़्वाब आँखों में उतर आए है दिल में इस कदर तू समाई है तेरा वादा वादा नहीं लगता है दिल ने  प्यार कि सज़ा पाई है  जीने के लिए  दर्द  ताउम्र बहुत है  सुन रहे है इस पर भी रुसवाई है  लिख गई है इबारत सी पेशानी पे  लगा  हर शय पे तेरी शहंनशाई है देर से बड़ी देख रही है वो मुझको जान पे "अरु" अब तो बन आई है आराधना राय "अरु"