उम्र के पहले अहसास सा कुछ लगता है वो जो हंस दे तो रात को दिन लगता है उसकी बातों का नशा आज वही लगता है चिलमनों की कैद में वो जुदा सा लगता है उसकी मुट्टी में सुबह बंद है शबनम की तरह फिर भी बेजार जमाना उसे लगता है आराधना
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.