उम्र के पहले अहसास सा
कुछ लगता है
वो जो हंस दे तो रात को
दिन लगता है
उसकी बातों का नशा
आज वही लगता है
चिलमनों की कैद में वो
जुदा सा लगता है
उसकी मुट्टी में सुबह बंद है
शबनम की तरह
फिर भी बेजार जमाना उसे
लगता है
आराधना
कुछ लगता है
वो जो हंस दे तो रात को
दिन लगता है
उसकी बातों का नशा
आज वही लगता है
चिलमनों की कैद में वो
जुदा सा लगता है
उसकी मुट्टी में सुबह बंद है
शबनम की तरह
फिर भी बेजार जमाना उसे
लगता है
आराधना
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