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Showing posts from September 5, 2015

दरिया

उम्र का दरिया कैसे निगल गया कोई पास से इतने कैसे निकल गया कोई प्यास सहरा ने ना कोई देखी होगी पूरे वज़ूद को कैसे निगल गया कोई तबाही अब न छू पायेगी दामन तेरा तिश्नगी रूह की" अरु" रूह में भर गया कोई आराधना राय "अरु"