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Showing posts from December 10, 2015

जाती बहार में

मौसम के रंग -राग गए जाती बहार में फूलों के लब से बोल गए जाती बहार में गुम हो गए सभी जैसे सर्द रात के में ठंडक बनी रही दिलों में जाती बहार में सोए हुए थे पेड़ सभी जगाने के बाद जैसे कफस में सो गए कही जाती बहार में उम्मीद अपनी अपनी थी सर्दी के देश में कैसे कहे कौन रो कर ना उठे जाती बहार  में नादाँ है कुछ ना बोलिए मौसम नहीं सही "अरु" कातिल है अजब साथ जाती बहार में आराधना राय "अरु"