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Showing posts from August 26, 2016

चाँद

चाँद के साथ चाँदनी खिलखिलाती रही  तेरे बहाने से खुशियाँ दरीचे से आती रही  तू सहर सा मेरे दर को रोशन करती रही तू मेरे घर में चाँद बन के जगमगाती रही  वो खूबसूरत सा चेहरा ईद सा चाँद ही रही इसी बहाने "अरु"बहार बन के वो आती रही आराधना राय