रंज़ मेरा था मेरा, मेरे ही साथ रहा उम्र भर आह कि वो ही सौगात रहा दफ़न हो गए होते हम यूँ यहीं कहीं अब के ज़माना भी मेरे ही साथ रहा वो कहे रात तो रात ही बस मेरी सही गमों का सौदा था हमनें हँस के सहा जानें कौन बिज़लियाँ रोज़ गिराता रहा ज़मी पे "अरु"अजब सा कुफ़्र ढाता रहा आराधना राय "अरु " Rai Aradhana © ---------------------------------------------------------------- कुफ़्र =attitude of ingratitude and thanklessness मतलबी ,ज़िस पर ईश्वर कि कृपा ना हो
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.