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Showing posts from September 1, 2016

मुमकिन नहीं है

तुम्हे भूल जाऊँ मुमकिन नहीं है चलो इस जहां को ही भूल जाऊँ फसाने हजारों मिलेगे तुम्हे भी हमारी गली से तूम राब्ता रखना भूल गर जाऊँ नगमे तुम्हारे हमारे चाँद को तूम दो पल याद कर लेना वफ़ा कीना पूछे, पूछे गम ए दिल मेरा मोहताज़ तू कब हो गया था वो मायूसी तेरी कामयाबी किसी की दिल इतना बेईमान कब हो गया था