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Showing posts from May 8, 2015

क्या देती

साभार गुगल मैं तुझे इस दिल के सिवा क्या देती अधूरी बची ज़िन्दगी उधार क्या देती तुम एक हसीन सहर की बात करते हो मैं तुम्हें उदासियों कि शाम क्या देती मेरे मुक्क़दर में रोशनी ही  कुछ कम थी मैं तुझे अंधेरों के सिवा यू भी क्या देती तुम वफ़ा के मायने समझा गए मुझको मैं उलझे हुए ज़ज़्बात के सिवा क्या देती आराधना राय