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Showing posts from June 2, 2015

अलख जगाये

अलख जगाये  ====================== अपने नयन खुवायें आज पी ही  लुभाये सखी मुझे पी बुलाए  जिया मेरा क्यू हर्षाए  सोवत  जागत ही तुम संग जन्म ही बिताये ये जग बैरन है  साधु ड़ोर ही अब छूटी जाये आराधना *

आराधना * बाबा नागा अर्जुन और कबीर जी के जन्म विशेष पर

आराधना *  बाबा नागा अर्जुन और कबीर जी के जन्म विशेष पर  -------------------------------------------------------- नमन करुँ उस प्रवीण आत्मा को उससे उपजी गहरी सी साधना को दे रहे  कबीर भी अपनी ओज वाणी नागार्जुन जगा  रहे थे समाज वाणी समाज रहेगा सदा ही अनुग्रह ऋणी  हिंदी भाषा ने पाई थी  समृद्धि धनी  सूर्ये  भी यहाँ झुके नतमस्तस्क हो  कर्म पथ के वीर बात करते गंभीर  आराधना