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Showing posts from March 15, 2015

तेरे दर के पास।

साभार गूगल इमेज न गाड़ी न बगला न मोटर न कार कहीं एक मकां को तेरे दर के पास। हँसी खेलती हो मखमली  दूब पर खिलती हो कलियाँ कहीं  धूप पर। बरसती हो सावन की ठंडी फुहार झिलमल पानी कि कही से आवाज़। ना दिन कि ख़बर ना रात कि उदासी चले ए -खुदा अब तेरे  दर  के   पास।  आराधना    

सच जब मौन हो बोलता है

सच  जब  मौन  हो  बोलता है दीवारें ,आईने सब तोड़ता  है भूख कैसी भी हो मन को लगे आतंक का तांडव मुँह खोलता है बढ़ने लग जाता  धन का प्रभाव करने लग जाते लोग दुर्व्यवहार विप्लब  तब  ही  होते   है साकार जब मिल जाता उन्हें कोई आधार  सच को हर तराज़ू में ना यू तोलो नीलम कर यू बोलिया ना बोलो बिक गया होता गर सच भी कहीं  परिवर्तन होता भी तो कैसे होता    सच जब किसी के अंदर बोलता है किसी कि ज़िन्दगी को जोड़ता  है। आराधना