सच जब मौन हो बोलता है
दीवारें ,आईने सब तोड़ता है
भूख कैसी भी हो मन को लगे
आतंक का तांडव मुँह खोलता है
बढ़ने लग जाता धन का प्रभाव
करने लग जाते लोग दुर्व्यवहार
विप्लब तब ही होते है साकार
जब मिल जाता उन्हें कोई आधार
सच को हर तराज़ू में ना यू तोलो
नीलम कर यू बोलिया ना बोलो
बिक गया होता गर सच भी कहीं
परिवर्तन होता भी तो कैसे होता
सच जब किसी के अंदर बोलता है
किसी कि ज़िन्दगी को जोड़ता है।
आराधना
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