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Showing posts from August 31, 2016

आना

घर भले ही खाली हाथ आ जाना गुज़रा वक्त तूम साथ ले आना हमने जाना नही तुमने माना नहीं कब हुई दोस्ती हमने पहचाना नहीं आसमान मेरे सर पर हमेशा रहा छांव एक टुकड़ा सही संग ले आना जब भी आना मेरे घर तूम ही आना सोई सी  इस नज़्म को बोल दे जाना आराधना राय "अरु"

वक्त लधुकथा

                                     तीनों ने समान बंधा और अपने अपने गंतव्य स्थल पर पहुँच कर एक दुसरे को लिखा, सफर अच्छा रहा ना में पटरी से उतरी ना लुटी गई..... ... । दूसरी ने लिखा अच्छा रहा ना किसी ने बम लगाया ना हिंदी इंग्लिश मराठी के नाम पर तोड़ा । तीसरी ने लिखा बेटे सब ठीक रहा पर आज मेरा आखरी दिन था किसी ने नही बताया और मेरी जगह किसी और को दे कर कहा सुखी रहो........................अभी जंग नहीं लगा इसलिए संग्रहालय में जा रही हूँ। आराधना राय अरु

पुकारा है

दर्द ये गम ए दिल का आखिरी सहारा है दर्द से जीवन को हमने हर- पल संवारा है मेरे इन लबों पे फ़िर ज़िक्र अब तुम्हारा है साँस - साँस कहती है दिल से दिल हारा है हाथ में लहू देखकर तुमने सोचा कातिल है काम कर गयी रोशनाई वो सितम हमारा है दोस्त से वफ़ा कर ली दुश्मनी हजार की है जां से मेरी जान लेकर किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"