तीनों ने समान बंधा और अपने अपने गंतव्य स्थल पर पहुँच कर एक दुसरे को लिखा, सफर अच्छा रहा ना में पटरी से उतरी ना लुटी गई..... ...।
दूसरी ने लिखा अच्छा रहा ना किसी ने बम लगाया ना हिंदी इंग्लिश मराठी के नाम पर तोड़ा।
तीसरी ने लिखा बेटे सब ठीक रहा पर आज मेरा आखरी दिन था किसी ने नही बताया और मेरी जगह किसी और को दे कर कहा सुखी रहो........................अभी जंग नहीं लगा इसलिए संग्रहालय में जा रही हूँ।
आराधना राय अरु
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