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Showing posts from July 28, 2015

नाता

मेरा तुझे देखना बेमानी नहीं था दरिया-ए -प्यार तेरा मेरी नादानी नहीं था समुन्दर का  वास्ता दरियाओं से रहा यू तुझ सा मेरा उम्मीदों का कहीं यू नाता नहीं मिला  मेरा  देवालय अधूरा  दीप के बिना मेरी साँसों में जो महका वो "अरु" रिश्ता तुझ से ही मिला आराधना राय 

आस

 यू  सवार है आग अब पानी पे  तेरा जहां है ये क्यू यू निशाने पे अब्र की आस भी है यू अफसाने में रूह ये  प्यासी यू ही कही तीरगी में रंगी सुबह के ही नरम  उजालो पे "अरु" छेड़े हर राग यू ही ख्वाबो पे आराधना राय तीरगी- अँधेरा अब्र - बादल

कलाम को श्रद्धांजलि

कलाम को श्रद्धांजलि -----------------------------------  रोता है ईश्वर भी यू अब तो देख कलाम भी रूठ ही गया     क़ुरान कि इबादत रही उसकी   गीता का जीवन सार ही दिया कर्तव्य, मेहनत और लगन से  ज़ीना ही उसने था सीख लिया  मंदिर , मस्जिद  या  हो गिरज़ा  उसने कर्मों को ही नमन किया   कैसे - कैसे हीरे सब यू ही खोये  हाय विधाता तू क्यों  टूट गया हाथ जोड़ कर हे तुझे ही ईश्वर आज कलाम को नमन किया  दनियाँ के जंजाल में रह कर  "अरु" ये मनवा क्यू रो दिया  आराधना राय