साभार गूगल इमेज नज़्म एतरफ اعتراف Confession दिली एहतमाद है मुझे तुझसे जो है एक दूसरे का बस एहतराम ,नहीं है दिल ने दिल से कहीं, वो बात नहीं है तन्हाइयों के नाम मेरा पैगाम यही है रुसवाईयाँ,शिक़वे गिले सब नज़र में है पर तुझ को छोड़ कर मंज़िल ही नहीं है मेरी दुनिया तेरी उम्मीदों से यूँ परे ही है वादे है ,हसींन मगर फ़रेब की तरह ही है ये दुनियाँ सरकश सी सराब की तरह यूँ है दिखता है क्या न पूछिये बाजार ही तो है मायूस हूँ ,खुद से मगर ना उम्मीद नहीं हुँ ये हौसला इस जद्दोजहद में बाकी है दोस्त , टूटेगा तेरा , इस्रार इक रोज़ तो मेरे ही आगे, झुकता है कभी आसमां ज़मी के कही आगे इस , ताबो , तपिश की भी ना तासीर रहेगी , तद्बीर -ऐ -तब्बसुम फ़क़त रह जायेगा बाकी , ये मुझ को यकीं है,मेरी जान बस यही यकीं है कहता रहे ज़माना जो कहे "अरु " बात यही है copyright : Rai Aradhana © محبت، تجھے بھی ہے. مجھے بھی ہے ایک دوسرے پہ بس احترام نہیں ہے، دل نے دل سے کہیں، وہ بات نہی
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.