अटल विश्वास के लिए साथ खड़ी हूँ मैं अपने सत्य से भी यू कहीं परे हूँ क्या मैं स्वाधीन, मुक्त हूँ प्रश्न का उत्तर हूँ मैं धरती धरणी धीर सी अम्बर कथा हूँ मैं वीरकण से बनी धीर प्रतिमूर्ति ही हूँ मैं मौन मूक वेदना कि ये एक कड़ी हूँ मैं अटल हूँ सजगता से खड़ी हुई तो हूँ मैं जन्मों तुझ से कहीं यू जुड़ी ही रही हूँ मैं सृष्टि कि अनमोल रचना भी रही हूँ मैं दुष्ट भंजनी बाहुबल , नारायणी हूँ मैं जीवन दायनी प्रबला मुक्तेश्वरी हूँ मैं अनेक रूपा "अरु" स्वरूपा भी तो हूँ मैं आराधना राय copyright : Rai Aradhana © ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ आज हाथ में छुरी ले कर वो अपना खुदा मार आये है किसी का इश्क़ था इबादत वो भी वो मार कर आये है बेवफ़ाई का इल्ज़ाम दूसरो पर लगाने वालो हँसते हुए घर को भी तबाह यू ही करने वालों ...
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.