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Showing posts from May 7, 2015
वो कहते है यू तू मरना  छोड़ दे  मेरी बातों को ही करना  छोड़ दे।  तेरे हाथों में अब  वो शफ़ा नहीं है  ज़िंदगी का ये ज़हर पीना छोड़ दे।  रात है कट ही जाएगी ये तेरे बिन  बात -बात पर यू तू रोना छोड़ दे।  अपने से लगते है जो भी लोग तुझे  उन पर एतबार करना भी छोड़ दे  मेरी सब आदतें है उसके जैसी ही  उसको  हम  यू तन्हा कैसे छोड़ दे।  आराधना राय