. जब मिली रंज औ गम की उम्र भर जो भी सौगात मिली सहर के साथ- साथ ,शबे -गम की बारात मिली । अश्क बहते रहे ,उन्हें हम बस यूही सहते रहे ख्वाब के दरवजो पर ,रूह गमज़दा सी मिली। मेरा हर एक ख्वाब, रहा ,आधा -अधूरा ही सही मेरे लब पे जो दुआ आई , वो तुझको तो मिले अपने आँसूओ को कुछ इस तरह सजाया मैने गर छलक जाये ज़िन्दगी का तुझे जाम मिले बेनूर सा ,बे रंग सा बेनाम सा चेहरा लेकर मुझसे मिलती भी है ,तो दूर बहुत दूर मिली हाथ वीरानियों के सिवा कुछ भी ना आएगा मेरी हमशक्ल सी ,तकदीर बन मुझसे मिली हांफ़ते - कांपते ,हुये इन कदमो को "अना" ज़िन्दगी तू भी मिली तो ,फ़क़त उधार मिली। copyright rai aradhana rai © . . جب بھی ملی رنج او غم کی عمر بھر جو بھی سوغات ملی سحر کے ساتھ ساتھ شب -گم کی بارات ملی. كاگذو پر، اشک بہتے رہے، ہم رہتے رہے میرے غمگین اندھیروں تمہے زندگی تو ملی. میرا ہر ایک خواب، رہا، نصف -دھورا ہی سہی میرے لب پہ جو دعا آئی، وہ تجھکو تو ملی اپنے اسوو کو کچھ اس طرح
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.