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Showing posts from April 26, 2015

गज़लें अश्क में ढाली हुई

मेरे नाम दिन के उजाले हुए है अंधेरों को हम क्यों पाले हुए  है किन मज़बूरियों में  ढाले हुए  है हालत तंग दिल में छाले  हुए  है ख्वाब क्यों हमने फिर पाले हुए है  हसरतों कि ख्वाहिशें जाने  हुए  है ================================= गर ज़िन्दगी तू ख्वाब है क्यों हसरतों के नाम है देख शिवालय भी गिरते  है मरते है उफ नहीं करते है लोग जीवन के लिए रोज़ मर कर भी यही उठते है कौन सा कहर था आँखों पे अश्क बन के जो निकलते  है सिर्फ एक निवाले के लिए नहीं ज़िंदगी जीने के लिए जलते है मौत तू आ भी गई कहीं से गर तेरे सामने हंस के गुज़रते से  है ज़िन्दगी भूख सही दर्द  गम सही अश्क  आँखों में भर के हँसते  है आराधना नेपाल त्रासदी पर -------------------------------------------- कैसा ये शोर उठा ,हर तरफ कहर जारी पत्थर दिल मोम हुए रूठी दुनियाँ  सारी लगी हुई थी नर्तन करने चारों ओर तबाही माँ से बच्चे अलग हुए यू टूटी दुनियाँ सारी मिलने और बिछड़ने में ही लगा हुआ संसार सब अपने अश्क़ में डूबे और बच्चे हुए अनाथ आराधना राय

तक़दीर

हमकदम को मेरी तक़दीर बदलनी होगी पास आ के कोई बात भी तो करनी होगी  कल की उम्मीद पे बातें नई करनी  होगी गले मिलने के लिए सामने आना  होगा हुई गलती तो माफ भी तो  करना होगा राहतें वस्ल तो  यू भी चुननी ही  होगी  आराधना  राय