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Showing posts from July 11, 2015

प्रसाद

क्षुब्ध  हूँ , क्षुधित हूँ.तृषित  हूँ कातर नहीं हूँ. धीर हूँ सतत हूँ जीवन में निरन्तर प्रवाहित हूँ तम  भी हूँ , शशि प्रकाशित हूँ भोर की लालिमा का प्रकाश हूँ सुर से सजी धरा का प्रसाद हूँ ज्ञान की नदी की  एक धार हूँ "अरु" नश्वर हूँ पर दीप्तमान हूँ आराधना राय  copyright :  Rai Aradhana  ©