वो गम ज़दा था नसीहत ना रास आई उसको परेशां था ज़माना ना कभी बहका पाया उसको ख्वाब देखने कि कभी भी आदत नहीं थी उसको रात किसी तस्वुर ने फ़िर से चौकाया था उसको कौन सी हक़ीक़त बयां कर रोकता वो भी उसको वो फूलों कि सेज़ पर नहीं काटो पर बैठता उसको वो आशना था आशिकी ना कभी रास आई उसको अपना दिल लिए वो पत्थर को मनाता रहा बरसों आराधना राय
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.