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Showing posts from March 21, 2015
रात बहूत लम्बी है माना  किन्तू सुबह कि आस तो है। निपट अकेले संघर्षो  से हिम्मत अपने साथ तो है पग -पग में बाधा घेरे निश्चय विजय तेरे साथ ही है स्वयं समर्पित कर जीवन को देख सुबह तेरे साथ ही है।  @copyright                    आराधना

ज्योति -पुंज

 साभार गूगल इमेज ज्योति -पुंज को देखने  की क्षमता कहाँ , लोग तो केवल  ज्योति को पूजेंग। स्वभिमान कहाँ नयनों ये सब अभिमान को पूजेंगे दुनियाँ आवाज़ों  में केवल सुख को पूजेंगे पीर को ना देख कर केवल घात करेंगे फिर कैसी अब देखे बात करेंगे। आराधना blogger

जल रही है क्यों हृदय में ये चिताएँ

जल रही है क्यों हृदय में ये चिताएँ क्यों बनी पर्याय जीवन कि व्यथाए किसलिए है शोक से आक्रांत जीवन क्यों घुमडती है सदा ग़म कि घटाए हवन करते हाथ मेरे क्यों जले है क्यों अतिथि बन आ गई घर आपदाएं प्रश्न है सब से कोई उत्तर सुझाये किस जगह जा कर बसे मृदु भावनाए

धरती के सूखे कोनों में

बिन बादल बरसात ना होगी धरती के सूखे कोनों में दर्द कि कोई बात सी होंगी मन  के खाली पन्नों पे वो ही  मधुर मुस्कान खिलेंगी धरती,अम्बर  कि पलकों पे फिर नव श्रृंगार होगा सुसज्जित धरती के कोने कोने में आराधना छाया वाद  से प्रभावित रचना शुष्क रहे क्यों बने मलान जब जीवन होगा स्वर्ण विहान