उन को अपना किस्सा -ए-गम भी सुनाना भूल गए उन के पहलू से उठे और आसूँ बहाना भूल गए राज़ और रंजिश के बादल छंट गए सारे तभी बात हमने इक कही मतलब बताना भूल गए चैन से नींद आ जाएगी हमतो यही सोचा किये दिल से तुम्हारी याद को हम ही मिटाना भूल गए उनकी ये दीवानगी मेरी ही नज़रों में "अरु" याद उस मोहसिन की इस दिल से भूलाना भूल गए आरधना राय "अरु"
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.