गोया की ग़ज़ल हूँ खामोश सी रहती हूँ तेरे आस- पास हूँ मगर गुम सी रहती हूँ दुखतर सा दुख लिए दो शीज़ा कहती हैं रात होते हीदिन की परेशनी है दिन ढले तो रात मेरी रो जाती है, जिंदगानी का सफर रो रो कर जीने वालो हँस से दाने चुगते है, मंटो की लिखी किताब हूँ .पाथेर पांचाली भ्रमकीताब हूँ य चंदरबरदाई की गाथा ऐ सनम बता कौन हूँ चंदकांता............... घात की गहराई रोमियो- जूलियट............................\आराधना राय अरु
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.