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Showing posts from June 22, 2015

हम सनम

  --------------------------------------- तेरा हर बात गवारा है हमें तेरी चुपी ही ने मारा है हमें मृग तृष्णा अब कहाँ रहेंगी नाव नदियाँ में ही जो बहेंगी तेरी जीत पे  हँस के जीते हम तेरी हार पे भी यू हारे बस हम थाम जीवन कि पतवार फिर ले चल माँझी नाव पार फिर यू तुम संग  ये प्रीत लगा हम हारे है सब कुछ "अरु"  सनम आराधना राय

पिया संग प्रीत

--------------------------------------------- पिया तुम संग प्रीत ही अजब यू रचाऊँ मीरा कान्हा कि हो यू जब हो ही जाऊँ कहीं राधा बन कृष्णा का साथ निभाऊँ मीरा बन कृष्णा के पास क्यों ना जाऊँ अँखियों में सपनें भी उन के अब पा जाऊँ तुम्हें कैसे बिसर यू अब "अरु" कहीं जाऊँ आराधना राय 

कह जाते हो

आँखों से कौन सी बात कह जाते हो दिल में कहीं तुम समाते ही जाते हो तुम अपने नाम के दिये से जलाते हो होठो पे इक मुस्कान बन छा जाते हो मेरे आँसू भी तुम पी कर चले जाते हो "अरु" को संसार तुम देने चले आते हो आराधना राय