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Showing posts from April 24, 2015

शिखर

शिखर उन्नंत भाल तेरा रखेगा  मान मेरा तू मुस्कुराएगा चाँद भी आएगा तारों में तारा ध्रुव तारा कहलायेगा नभ में जलतरंग सा लहराएगा पर्वत पर  विजित हो शिरोमणि हो जायेगा माँ का सपूत हर कोई शिखर ही हो जायेगा चन्द्र ,तारा ,निशा , शुभ गणक फल पाएगा कर्म के फल सब शुभ  हो जायेंगे ,अमित जीवन  फल पायेगे  वंदना , अर्चना आराधना   से नित्य  ही अपने अपने ईश्वर   हो पायेगे  स्रृष्टि , से भक्ति बन  जगत जलचरतू शुभ हो जायेंगे  राम कि अयोध्या ,  शाम और राधा का प्रेम यही पायेगे  विश्व जब सद भावना के लिए  विश्व -बंधुत्व दिवस बन जाएगा  फिर कोई एक दूसरे से अलग कैसे रह पायेगा  गायन , वादन , नृत्य से  कला देवी शारदा जब आएगी  राम -राज्य बन साकेत   सा जीवन यही हो जायेगा प्रेम कि धारा ,सूर्ये कि शक्ति भी पायेगी  जब  जीवन तू स्वयं शिव सार्थक हो जायेगा  तब पार्वती को शिव राधा को कृष्ण पाकर  गणेशं कि मंगल कामना से  हर घर जगमगाएगा  उस दिन ईश्वर तू धरती  पर उत्तर आएगा जीवन उन्नत शिखर हो जायेगा।  पूर्ति स्वयम ईशवर कि वसुंधरा  में स्त्री- पुरुष से ,सृ

कहते जाए

सकून जो दिल को भी आ जाए फिर उन को करार भी आ जाए  हसरतें ,उमगे जब उठती जाए   मोज़ों में रवानी भी कुछ आये सितम क्यों हर घड़ी सहते जाए क्यों ना अपना तुम्हे कहते जाए आराधना 

दिल समझते है

साभार गुगल इमेज़ दिल पे दाग लिये हम फिरते है दुआ होठो पर भी हम रखते है  तेरी आहट को भी हम सुनते है तुझे धड़कन में सज़ा के रखते है वो परेशां है हम ये भी समझते है दिल बता हम उन के क्या लगते है हम जिन्हें अपनी ख़ता समझते है उन के पास ही अपना दिल रखते है  कॉपी राइट @आराधना राय