समय के मोड पर ,पैर थकने से लगे सांसो की नर्मियाँ यू ही मिटने सी लगे जब सासो की डोर भी थमने सी लगे। दूर कही समय पर ताले पड़ने से लगे। डूबती उतरती साँझ में ,मैं घिरने लगू वेदना से अपनी स्वयं ही कही मरने लगू टूटने लगे विश्वास , आस्था मरने लगे क्षुब्ध हो , मन जब व्यथित होने लगे आत्मा ,जब अपने पर ही हसने लगे हर पल मेरा जब कुरुक्षेत्र सा लगने लगे भोर बन ,फिर मेरे आँगन म
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.