अपराध- बोध "माँ ,आज़ स्कूल जाने में फिर देर हो गई , छुट्टी ले लू क्या ! मुँह बनाते हुए चिकी ने पूछा, पर माँ ने ध्यान नहीं दिया , स्कूल बैग पीठ पर लटकाए , पैर घसीटती हुई वो घर से निकल गई। स्कूल जाने की उसकी ज़रा भी इच्छा नहीं हो रही थी । मैथ्स के चार पीरियड थे , फिर क्लास टेस्ट भी था, नम्बर कम आते ही गीता मैडम , उसे ही देख - देख कर फिर बोलेगी , कॉपी तो इतनी स्मार्टली बनाई है , नंबर भी ऐसे आते तो क्या बात थी ? अपने ख्यालो मे गुम चिकी ,स्कूल के सामने खड़ी थी ,उस का ध्यान हाथ की कलाई पर चला गया , स्कूल पहुँचने में उसे 15 मिनट की देर हो गई थी । " अब क्या करू ? चिकी धीरे से फुसफुसाई स्कूल गई तो बिना बात के ही फिर टीचर की डाँट खानी पड़ेगी ,ग्राउंड के तीन चक्कर लगाने पड़ेंगे , उस पर फिर बताया जायेगा की कैसे जल्द उठ , कर समय पर आ कर अच्छे बच्चे बन सकते है ऊपर से क्लास में देर से जाने पर , टीना मैडम ऐसे देखेगी मानो कोई क्राइम कर के आ रही हो ?
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.