Skip to main content

Posts

Showing posts from August 8, 2015

तक़दीर

एक दिन उसे खुद से मांग लेता तक़दीर जो वो खुद बना गर लेता वो मुझे उस का पता क्या यू देता एक हँसी थी जो वो उधार यू लेता उसकी जानिब से उठा था रंज़ लेता हादसा कम न था  "अरु"  सह वो लेता आराधना राय   "अरु" Aradhana © 

बेवज़ह

जाने कौन बात कर गया था कहीं कैसा वादा था कर  गया था कोई बेवज़ह ही सताता रह गया था कहीं ख़ुदा भी मुस्कुरा कर रह गया कोई वो कौन था तेरे मेरे दरम्यां ही कहीं  हर बात पे  रंज सताता रहा यू कहीं  परखा हर कसौटी पे ज़माने ने कहीं  मेरी अना ही टूटी उस परख में कहीं  बड़ी हसरतों का ज़नाज़ा उठा यू कहीं  खाक़ कर  "अरु" बातें बनाता रहा कहीं  आराधना राय  Aradhana ©  ------------------------------------------------ बेवज़ह- Meaning less. बिना बात  अना- -Self- respect,  स्वाभिमान  दरम्यां- middle/midst/interval, in-between" in ... बीच में     तेरी मानिंद ही है, झील सा गहरा नफ़ासत वाला  इस ज़माने से ही अलग सा  कहीं वो दिखने वाला 

आवाज़

नाकाम उम्मीदो का ज़नाज़ा लेकर  हसरतों को हम क्यू यू ढूँढ़ते ही रहे  बड़ी खामोशियाँ थी तेरे ही शहर में  कौन सा शोर था जिसे झेलते ही रहे  नादानियों के शहर में बर्बादी ये हुई  आवाज़ थी सभी कि जी तोड़ती रही शीशे तमाम टूट गए मेरे ही मकान के  कौन सी शये थी"अरु" भटकती ही रही आराधना राय   Rai Aradhana ©   

छवि

सुन्दर छवि किसने यू ही गढ़ी यहाँ किस कि निशानी रह गई बीते हुए युग कि कहानी कह गई अनजाने से बोल कह चुप हो गई कवि कि कल्पन साकार हो कहीं "अरु"स्वप्न बुन कर वो रह गई आराधना  राय Rai Aradhana ©