मेरी सांसों में कविता ------------------------------------ तुम बसें हो मेरी सांसों में मेरी धड़कन में तुम समाते हो मैं थरथरा रही हूँ लों की तरह तुम मेरे साथ -साथ जलते हो गुम रह कर देख ली दुनियाँ तुम अपनी साँस से महकते हो तेरे संग रह कर पा लिया है तुझे तुम मेरे रोम- रोम में बसते हो मेरी नज़रों में धुंध सी रहती है तुम किसी धूप सा मुस्कुराते हो तेरे कदमों में ज़माना पड़ा "अरु"तुम साया बन कर आते हो आराधना राय "अरु"
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.