बन जाओ ------------------------------------------- क्यू बस समझने समझाने पर जाओ अपना सोचा खुद कर भी अब जाओ बात अपनी क्या उन से कहलवाओ ख़ुदग़र्ज़ हो हाल -ए -दिल क्या बताओ ,मुस्कुरा कर सह ले गम तू ज़िन्दगी के क्यू अपने गम से उसे रोज़ कहीं रुलाओ दिये सा मंदिर में जल रौशनी भी फैलाओ प्यार को दिल में यू अपने तुम बसा जाओ किसी के लिए जी कर खुशियाँ ही बरसाओ प्रेम पूजा है गली में बदनाम क्यू कर जाओ किसी को "अरु" प्रेम दान कृष्ण बन दे जाओ
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.