अधुरा गीत -------------------- गीत अधुरा रह गया मौन अनकहा रह गया प्रीत की बतिया कही मन तृष्णा कह गया बसंत रीता रह गया हर रंग फीका रह गया साँझ विरहन भाई नहीं मौसम अधुरा रह गया साँझ की बेला का दीया सिसकता हुआ रह गया चूड़ियाँ टूटी सुहाग की हिय का गहना खो गया सरहद पे सिंदूर पुछ गया देश के नाम पीया तू गया आँसुओं से स्वपन लिखा पीड़ा में उमड़ के कह गया धरोहर रख कर कैसी गया आँखों में आँसू छोड़ गया अपनी यादों की निशानी सूनी कलाई में देकर गया देश मेरा वीरान हो गया बेटी का दर्द बेगाना गया रिश्तों को तिलांजलि में मोल-भाव में व्यर्थ गया दुल्हन की लाज ले गया डोली क्या अर्थी सजा गया सोता रहा चादर ओढ़ कर बेटी का अपहरण हो गया वेदना का मुँख खुल गया जीवन,मृत्यु के नाम गया तरस अन्नदाता अन्न को प्राणों का मोह ही रह गया काज़ल आँखों का बिध गया हदय पे आघात कर के गया मूक हो पथ पर तूम बैठे हो जिव्हा से मानों स्वर गया दुःख में मुस्कान बिखरा गया अंधकार की ज्योति हो गया अश्रु दे जाए जिसको दिशा "अरु" कष्ट सह लक्ष्य पा गया आराधना राय &qu
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.