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Showing posts from August 9, 2015

श्रद्धांजलि

मेरा बचपन ही साथ लें गए पिता मेरे तुम ईश्वर हो गए मेरे जीवन के वातायन बन मुझे अपने सपनें भी दें गए मुझे नव जीवन यू  देने वाले सागर तीरे ही   पार वो हो गए इस जीवन से विदा लेने वाले उस ईश्वर के कण में खो गए (स्व श्री कैलाश चन्द्र शर्मा  को नमन ४ बरसीं पर))

क्या बताए तुझे

क्या बताए तुझे  ----------------------------------- मेरी ज़िन्दगी के   हालात तंग थे  इसलिए मेरे रिश्तों  कि मौत हो गई।  ज़िंदगी में नाकाम रहे  रिश्ते भी हम पे कुछ  बोझ ही रहे।  मेरी चादर  ही तंग थी  लेना -देना ना कभी  सलीक़े से आया हमें  मुझ से मेरे रिश्तों को  परेशानी यही थी , दिल कि दौलत की  मेरे पास यू तो कमी  नहीं थी।  दुनियाँ का कारोबार  जिस से चलें वो  दौलत नहीं थी।  ख़्वाब है उन कि  क़ीमत  ही क्या है  मेरी नाकामियों में वो भी अब बिकते नहीं कहीं। क्या बताए तुझे ज़िंदगी रिश्तों के साथ ही नहीं  चल पाए हम कभी। आराधना राय  "अरु" Aradhana ©    

रूह

रूह प्यासी रही सदियों तक दिल की ज़मी थी दरकती रही कौन था जिससे हम यू पूछते आईने को क्यू  बहलाते  ही रहे ख़्वाब थे जो आँखों को भाते रहे नींद में "अरु" कसमसाते ही रहे आराधना राय "अरु "

ना बिकना आया

                     ना बिकना आया  -------------------------------------------- लोग बिक जाते है बस पल -दो पल में ही   हमें ना इस तरह बाज़ार में बिकना आया  राह चलतों से बात क्या हम अपनी यू करें   जिन्हें नज़रिया भी ना बदलना कभी आया  अपने ख्वाबों को उम्मीदों के सर ही करते है रोज़ सिक्कों कि तरह हमें ना बदलना आया   वो खुश रहे उन्होंने बेंच दी दूसरों कि भी अना  हमकों दूसरों कि बर्बादियों पे ना हँसना आया  आराधना राय  --------------------------------------------------- अना --स्वाभिमान ,