बातें जो ख़त्म नहीं होती , शौक जनून नहीं होता। "शौके -ए -जनून है मुझे ,और जनून इश्क है ,ये ही इश्क मेरा खुदा रहा"। बचपन से कहानी कहने का शौक था,मेरी कहानियाँ भी अजीब होती थी,मॉडर्न ज़माने की चिडिया, बोलू कुत्ता, किसी भी खाली पीरियड में लड़कियों के गोलधारे के बीच मे बैठ कर अपनी खुद की कहानियों को अंजाम दिया करती थी। कब मेरी कहानियाँ एक मेरी हमजोलियों को पसंद आने लगी और न जाने कब मैं कहानियों को लिखने लगी । ये मैंने जाना ही नहीं अगर मेरी बहन के हाथ कुछ आध लिखे पन्नें न लगे होते तो शायद कभी सिलसिलेवार लिखने की कोशिश, कोशिश ही रह जाती । वो मेरी मझली दीदी ही थीं जिन्होने मेरी कोशिशो को शक्ल दी । आज उन्हीं कहानियों को फिर से नए रूप मे लिखने की कोशिश दोहरा रही हूँ । अगर आप इस ब्लॉग से जुड़े तो पाएंगे रोज़ एक कहानी जो आपकी बातों से गली से जुडी होगी अगर आप इस ब्लॉग पर नया कुछ अपना लिखना चाहे अपंने नाम के साथ तो आप का स्वागत है । आज एक कहानी की शुरुआत की है । कहानी का नाम है," जन्म " copyright rai aradhana rai © ..........................................
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.