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Showing posts from December 11, 2015

किसी ने नहीं किया

फिलबदी के लिए आर- काफिया - प्यार-- इज़हार----इख़्तियार , बहार, एतबार बेज़ार, निसार-शर्मसार,रइंतजा,होशियार             ------------------------------------------------------------------ मुझ पर एतबार किसी ने नहीं किया दिल को बेकरार किसी ने नहीं किया समंदर ने साथ जब लहरों का किया तूफां को बेक़रार किसी ने नहीं किया राह में काँटे चुभे जिगर से खून निकला इश्क में मिरा इंतजार किसी ने नहीं किया करूं क्या बात लोगों से बेदिली से अब मेरी बात का एतबार किसी ने नहीं किया बात है वादों को दिल से निभाने की वतन पे जां निसार किसी ने नहीं किया बड़ी हस्ती है उस महकते गुलशन की गुलों को शर्मसार,किसी ने नहीं किया कह दो प्यार उन से किसी ने नहीं किया "अरु" माँ सा दुलार उन से किसी ने नहीं किया आराधना राय "अरु"                                                                                                              

बरसात

पानी ठहर गया सड़क पर बरसात के बाद मंद झोकों से मन बहका बरसात के बाद सोंधी- सोंधी मिट्टी की महक बसी सांसो में ह्दय सहज ही खिल गया बरसात के बाद इठलाती, कली चूमती रही वसन बरसात के बाद नीलाभ आसमान बहलाता रहा बरसात के बाद तमाम शहर के बुरे हाल हुए बरसात के बाद सुलझते- उलझते हालत हुए बरसात के बाद अँधेरा किस का सरमाया बना  बरसात के बाद रोशनी में नहाते रहे तन्हा- तन्हा बरसात के बाद सड़को के सभी रास्ते बंद हुए बरसात के बाद "अरु" हालात अजब थे बड़े बरसात के बाद आराधना राय "अरु"